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    अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के 69वें महाधिवेशन में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहान्ती का वक्तव्य

    श्रीमान् अध्यक्ष/महानिदेशक ग्रॉसी, महामहिम, देवियो और सज्जनो,

    नमस्ते

    अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के 69वें महाधिवेशन में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य और सम्मान की बात है। भारत सरकार की ओर से, मैं IAEA महाधिवेशन में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।

    अध्यक्ष महोदय,

    मैं आपको 69वें महाधिवेशन का अध्यक्ष चुने जाने पर हार्दिक बधाई देता हूँ। हम इस महत्वपूर्ण भूमिका में आपकी सफलता की कामना करते हैं।

    एक संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत की IAEA के साथ इसकी स्थापना के समय से ही घनिष्ठ और दीर्घकालिक साझेदारी रही है। भारत में, हम ‘राष्ट्र की सेवा में परमाणु’ के सिद्धांत से निदेशित होते रहे हैं, जो IAEA के अपने आदर्श सिद्धांत “शांति और विकास के लिए परमाणु” का प्रतिनिधित्व करता है। इस संबंध में, हाल ही में नाभिकीयक्षेत्र में भारत में अर्जित उपलब्धियों को साझा करते हुए मुझे खुशी हो रही है।

    भारत सरकार ने जनवरी 2025 में विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन का शुभारंभ किया हैजिसका लक्ष्य 2047 तक अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को 100 गीगावाट तक बढ़ाना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, युक्तिपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप और बुनियादी ढांचे में निवेश किया जा रहा है, जिसमें स्वदेशी परमाणु प्रौद्योगिकियों के विकास और तैनाती एवं सार्वजनिक-निजी सहयोग पर जोर दिया जा रहा है।

    सरकार ने स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों पर अनुसंधान एवं विकास के लिए 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की धनराशि आवंटित की है, जिसमें 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी डिजाइन और प्रचालन योग्य एसएमआर की योजना है। इस परिवर्तनकारी पहल में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिएभारत सरकार नाभिकीय क्षेत्र में एक समर्थकारी कानूनी ढांचा भी बना रही है।

    परमाणु ऊर्जा मिशन के अलावाभारत में नाभिकीय क्षेत्र में कई रोमांचक विकास हो रहे हैं। 2024-25 के दौरानन्यूक्लियर पावर कॉपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के बिजली संयंत्रों ने 87% का प्लांट लोड फैक्टर हासिल किया है। एनपीसीआईएल के प्रचालन इतिहास में पहली बारपरमाणु ऊर्जा संयंत्रों ने विगत वित्तीय वर्ष में 50 बिलियन यूनिट बिजली उत्पादन किया है।

    हमारे नियामक, परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद ने माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना 1 से 4 के लिए स्थल चयन सहमति जारी कर दी है, जो एनपीसीआईएल और एनटीपीसी के संयुक्त उद्यम अश्विनी द्वारा विकसित एक ग्रीन फील्ड परियोजना है। एईआरबी ने कलपाक्कम में 500 मेगावाट के प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर में ईंधन लोडिंग को भी मंजूरी दे दी है, जो हमारे देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दूसरे चरण की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

    अध्यक्ष महोदय,

    स्वदेशी प्रगत रिएक्टर प्रौद्योगिकियों के विकास के प्रयास में, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) हमारा एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र लाइट वाटर आधारित 200 मेगावाट क्षमता वाले भारत एसएमआर, एक 55 मेगावाट क्षमता वाला एसएमआर और एक उच्च तापमान गैस कूल्ड रिएक्टर को थर्मोकेमिकल संयंत्र के साथ एकीकृत करके स्वच्छ हाइड्रोजन उत्पादन के लिए विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

    इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) द्वारा निर्मित फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर) ने 40 मेगावाट की लक्षित क्षमता के साथ 34 विकिरण अभियान पूरे कर लिए हैं। फास्ट रिएक्टर के अपशिष्ट ईंधन के पुनर्चक्रण के लिए प्रदर्शन सुविधा का भी सफलतापूर्वक प्रचालन किया गया था।

    नाभिकीय ईंधन सम्मिश्र (एनएफसी) ने विनियामक अनुमोदन के साथ राजस्थान, कोटा संयंत्र में पीएचडब्ल्यूआर के लिए ईंधन संविरचण सुविधा के मॉड्यूल-2 का प्रदर्शन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।

    भारत दुनिया में भारी पानी का सबसे बड़ा उत्पादक है और भारी पानी बोर्ड ने कई देशों को लगभग 130 मेट्रिक टन भारी पानी का निर्यात किया है। भारी पानी बोर्डने तालचेर में पहला इलेक्ट्रॉनिक्स-ग्रेड बोरॉन-11 संवर्धन संयंत्र भी स्थापित किया है। यह अत्याधुनिक संयंत्र बोरॉन-11 को 99.8% शुद्धता तक समृद्ध करता है, जो सेमीकंडक्टर अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त है।

    इस वर्ष मार्च के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आने वाले टाटा मेमोरियल अस्पताल को “आशा की किरणें” वाला एक प्रमुख केंद्र घोषित किया। यह उपलब्धि वैश्विक दक्षिण में भारत के नेतृत्व को दर्शाती है, जो इसकी उन्नत कैंसर देखभाल विशेषज्ञता और वैश्विक स्वास्थ्य समानता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

    विकिरण एवं आइसोटोप प्रौद्योगिकी बोर्ड (ब्रिट) ने ISOMED 2.0 को सफलतापूर्वक उन्नयन किया है – जो आज विश्व में श्रेणी II प्रकार के डिजाइन वाला एकमात्र उच्च तीव्रता वाला विकिरणक है, जो गामा विकिरण का उपयोग करके टर्मिनल स्टरलाइजेशन आवश्यकताओं के लिए स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए तैयार है।

    अध्यक्ष महोदय,

    भारत दुनियाभर में मेगा साइंसप्रोजेक्ट में विज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक समुदाय के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। परमाणु ऊर्जा विभाग के विभिन्न संस्थानों के कई वैज्ञानिक, जो CERN के साथ India-ALICE और India-CMSप्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, LHC Run-2 अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान के लिए मूलभूतभौतिकी में 2025 के ब्रेकथ्रू पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की सूची में शामिल हैं।

    बीएआरसीके सहयोग से वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर, कोलकाता में 18 MeV मेडिकल साइक्लोट्रॉन का निर्माण स्वदेशी रूप से किया जा रहा हैजो बीम परीक्षण के अग्रिम चरण में है।

    खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भारत की प्रगति के एक हिस्से के रूप मेंमेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट (MACE) जो एशिया का सबसे बड़ा गामा-रे दूरबीन है, को 20 GeV से अधिक ऊर्जा रेंज में गामा-रेस्काई का अन्वेषण करने के लिए हानले, लद्दाख में स्थापित किया गया है, जिसका उद्घाटन अक्टूबर 2024 में किया गया था।

    परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में क्षमता निर्माण और कौशल विकास को मज़बूत करने के हमारे प्रयासों के तहत हमारा ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर पार्टनरशिप(GCNEP) अपनी आउटरीच का विस्तार कर रहा है। तंजानिया परमाणु ऊर्जा आयोग के साथ हाल ही में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के साथ, अब 17 से ज़्यादा देश भारत की इस अनूठी ज्ञान साझेदारी पहल का हिस्सा बन गए हैं।

    पिछले महीने, भारत ने मुंबई में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी पर 18वें अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड – IOAA 2025 में 64 देशों के 300 से अधिक छात्रों और 140 सदस्यों की मेजबानी की है।

    अध्यक्ष महोदय,

    भारत का दृढ़ विश्वास है कि नाभिकीय और रेडियोलॉजिकल सामग्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सभी सदस्य देशों की मुख्य ज़िम्मेदारी है। भारत एक मज़बूत, टिकाऊ और दृश्यमान वैश्विक परमाणु सुरक्षा और संरक्षा ढाँचा प्रदान करने के एजेंसी के संकल्प में अपना समर्थन व्यक्त करता है।

    एक प्रमुख और ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में, भारत अपनी विशेषज्ञता का उपयोग जनहित में करने और अनुसंधान एवं अनुप्रयोग, दोनों मोर्चों पर परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक समुदाय और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर है। हम 69वें महाधिवेशन की शानदार सफलता की कामना करते हैं।
    धन्यवाद और जय हिंद।

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