02.10.2024 से 31.10.2024 की अवधि में विशेष अभियान 4.0 के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि) की उपलब्धियाँ
परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि) में 12 संघटक इकाइयाँ, 11 सहायता प्राप्त संस्थान और 5 सार्वजनिक उपक्रम शामिल हैं जो पूरे भारत में फैले हुए हैं। पिछले विशेष अभियानों की तरह, विशेष अभियान 4.0 भी विभाग की सभी संघटक इकाइयों/पीएसयू/सहायता प्राप्त संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के साथ पूरा किया गया। कार्यालय परिसर के भीतर और बाहर विभिन्न स्वच्छता अभियान चलाए गए। इसके अलावा, स्वच्छता पर विभिन्न जन-जागरूकता कार्यक्रम जैसे वॉकथॉन, जागरुकता वार्ता, नुक्कड़ नाटक, ड्राइंग प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की गईं। विशेष अभियान 4.0 के अन्य उद्देश्यों जैसे सन्दर्भों का निपटान, रिकार्ड प्रबंधन, स्क्रैप का निपटान आदि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिकतम प्रयास किए गए।
विशेष अभियान 4.0 के दौरान, 51255 फाइलों की समीक्षा की गई, जिनमें से 50599 फाइलों को वीडिंग करने के लिए चिन्हित किया गया। पऊवि की संघटक इकाइयों/पीएसयू/सहायता प्राप्त संस्थानों ने कुल मिलाकर 146 स्वच्छता अभियान चलाए गए और स्क्रैप के निपटान द्वारा 5324573/- रुपये का राजस्व अर्जित किया है। स्क्रैप के निपटान से लगभग 19579 वर्ग फुट क्षेत्र भी खाली हुआ है।
विशेष अभियान 4.0 के दौरान की गई गतिविधियाँ
(i) टाटा मेमोरियल सेंटर, गुवाहाटी में स्वास्थ्य जागरुकता कार्यक्रम
(ii) परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद, मुंबई द्वारा अणुशक्तिनगर, मुंबई में नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया।
(iii) सुरक्षा अनुसंधान संस्थान, एईआरबी, कलपक्कम में वृक्षारोपण अभियान
(iv) पऊवि की विभिन्न संघटक इकाइयों/पीएसयू/सहायता प्राप्त संस्थानों में अभियान
विशेष अभियान 4.0 के श्रेष्ठ अभ्यास
(i) प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान (आईपीआर), गुजरात में जैविक खाद का उत्पादन करने के लिए अपने परिसर के 25000 वर्ग मीटर लैण्डस्केपिंग क्षेत्र में पेड़ों से निकलने वाले सूखे पत्तों, टहनियों, हरी घास, लकड़ी के चिप्स आदि जैसे जैविक कचरे का उपयोग करता है। इस जैविक खाद के उपयोग से 650 पौधों का रोपड़ कर एक सघन क्षेत्र सृजित किया गया है जो सुंदरता पूर्वक विकसित हो रहा है। यह जैविक खाद मिट्टी को समृद्ध करने, नमी बनाए रखने, पौधों की बीमारियों को कम करने और हानिकारक कीटों को दूर रखने में मदद करती है। साथ ही जैविक खाद के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है, मीथेन उत्सर्जन और कार्बन फुट प्रिंट कम हो जाता है।
(ii) आईपीआर ने आईपीआर भवन और विद्यार्थियों के छात्रावास के बीच जंगल से खरपतवार साफ करने की पहल की। जंगल की सफाई से बाधा मुक्त पारगमन की सुविधा मिली है और कीड़ों तथा मच्छरों के प्रजनन में कमी आई है।
(iii) आईपीआर ने आकाशीय विद्युत के संपर्क में वर्षा जल के आने से प्रेरणा लेते हुए स्वदेशी रूप से अपनी पेटेंट प्लाज्मा सक्रिय जल (पीएडब्ल्यू) तकनीक का विकास कर उसका व्यावसायीकरण किया है। यह पानी नाइट्रोजन प्रजातियों से समृद्ध है और पौधों की वृद्धि के लिए फायदेमंद है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं जो नींबू की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में फायदेमंद साबित होते हैं। इसे डेयरी कंटेनरों को स्टरलाइज़ करने के लिए भी महत्वपूर्ण पाया गया है।
(iv) एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (एसीटीआरईसी) ने मरीजों के लिए एक एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म एप्लिकेशन बनाया है। यह मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड प्रणाली रोगी पंजीकरण, जांच रिपोर्ट, चिकित्सकीय दवाओं की जानकारी, ओपीडी के लिए नियुक्ति, डेकेयर, रेडियोलॉजी सेवाओं, बिलिंग जानकारी, फीडबैक इत्यादि के बारे में विवरण प्रदान करती है।
उद्गम से अंत तक, वीईसीसी, कोलकता की पहल
भारत सरकार के स्वच्छ गंगा परियोजना (नमामि गंगे) के राष्ट्रीय मिशन के अनुरूप, परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में से एक, परिवर्तनीय ऊर्जा साइक्लोट्रॉन सेंटर कोलकाता ने स्वच्छता अभियान के लिए एक जन-जागरुकता अभियान का आयोजन किया। यह अभियान गौमुख से हरिद्वार तक आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य नदी में प्रदूषण को कम करना, नदी तटों का संरक्षण और कायाकल्प करना और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है। इस पहल का उद्देश्य तीन वर्षों में गंगोत्री ग्लेशियर से शुरू होकर गंगा डेल्टा में सागर द्वीप तक इस पवित्र नदी के पूरे मार्ग को कवर करना है। इस वर्ष वीईसीसी के पांच (05) सदस्यों की एक टीम ने 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर 2024 के दौरान इस विशेष स्वच्छता अभियान 4.0 में भाग लिया। ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर, आम आदमी, सफाई मित्र, तीर्थयात्रियों की मदद से लगभग 60-70 किलोग्राम अपशिष्ट पदार्थ एकत्र किया गया और कचरे को व्यवस्थित निपटान के लिए स्थानीय नागरिक निकाय को सौंप दिया गया।
टीम ने प्रतिष्ठित एनआईएम उत्तरकाशी में “परमाणु ऊर्जा विभाग की गतिविधियां” और “अधिक ऊंचाई पर प्लास्टिक के दीर्घकालिक अपशिष्ट प्रबंधन” पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का सबसे उत्साहजनक हिस्सा गंगोत्री से गौमुख और वापस गंगोत्री तक पूरे ट्रेक रूट पर 4 दिनों का अधिक ऊंचाई सफाई कार्यक्रम था। चिरबासा, भोजबासा शिविर और गौमुख बिंदु सहित पूरे 40 किमी मार्ग से भारी मात्रा में गैर-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कचरे को एकत्र किया गया और इसके व्यवस्थित निपटान के लिए गंगोत्री तक लाया गया। ट्रैकर्स (भारतीय और विदेशी दोनों पर्यटकों), गाइड, कुली, साधु और आम आदमी की भागीदारी ने पूरे स्वच्छता अभियान को बहुत प्रभावशाली बना दिया।
सोशल मीडिया गतिविधियाँ तथा पीआईबी वक्तव्य
जागरूकता फैलाने और अभियान की पहुँच बढ़ाने के लिए, परमाणु ऊर्जा विभाग की सोशल मीडिया टीम द्वारा #SpecialCampaign 4.0 के तहत ‘X’ जैसे प्लेटफार्मों पर 11 सोशल मीडिया पोस्ट डिजाइन और अपलोड किए गए। विभाग ने विशेष अभियान 4.0 के संबंध में 2 प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) वक्तव्य भी जारी किए हैं।
विभाग ने विशेष अभियान 4.0 के लिए निर्धारित सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम किया है। परमाणु ऊर्जा विभाग आने वाले वर्ष में भी इस कार्य को जारी रखने के लिए उसी उत्साह और निष्ठा के साथ प्रयास करता रहेगा।