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    एक डीएई एक सदस्यता (ओडीओएस)

    Publish Date: July 30, 2024
    odos press relase

    सचिव, डीएई द्वारा परिकल्पित एक विभाग (डीएई) एक सदस्यता (ओडीओएस) एक अद्वितीय विचार है, जिसने डीएई और इसकी सभी इकाइयों/उप इकाइयों (लगभग 60) को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रों के साथ-साथ वैज्ञानिक पत्रिकाओं तक पहुंच के लिए एक छतरी के नीचे ले आने में सक्षम बनाया है। इस प्रस्ताव से अब संसाधनों को डिजिटल रूप से साझा करना और सामूहिक रूप से विकसित करना संभव है। यह घोषणा करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि डीएई ने मेसर्स वाईली इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स स्प्रिंगर नेचर ग्रुप के साथ संघीय सहायता समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

    मेसर्स वाईली इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ पहला ओडीओएस समझौता समस्त विभागीय (डीएई) समुदाय को 1997 से अभिलेखागार सहित 1353 वाईली पत्रिकाओं के संग्रह तक पहुँच प्रदान करेगा। यह वर्तमान में केवल 12 डीएई इकाइयों को मूल्य में बिना किसी वृद्धि के 166 अद्वितीय पत्रिकाओं तक पहुँच प्रदान करने के बदले में है। वर्ष 2024 के लिए सभी पत्रिकाओं के लिए विभाग की सभी इकाइयों को सर्वकालिक अधिकार दिए जाएंगे। डीएई को ओपन एक्सेस पत्रिकाओं में और अधिक लेख प्रकाशित करने का अधिकार भी मिलेगा। इस समझौते के अंतर्गत आर्टिकल प्रोसेसिंग चार्ज (APC) को समाविष्ट किया गया है।

    मेसर्स स्प्रिंगर नेचर ग्रुप के साथ दूसरा ODOS समझौता लगभग 2,686 स्प्रिंगर नेचर शीर्षकों तक पहुँच प्रदान करेगा, जिसमें 553 पत्रिकाएँ पूरी तरह से ओपन एक्सेस (FOA) के रूप में समाविष्ट हैं। पूर्व में 14 इकाइयों को प्रदान की गई 1752 अद्वितीय पत्रिकाओं की पहुँच के बदले पूरे विभाग (डीएई) को पहुँच प्रदान की जाएगी। वर्ष 2024 के लिए सभी पत्रिकाओं हेतु विभाग की सभी इकाइयों को सर्वकालिक अधिकार दिए जाएंगे। स्प्रिंगर शीर्षकों के लिए वर्ष 1997 से और नेचर शीर्षकों के लिए वर्ष 2012 से अभिलेखागार भी सुलभ हो जाएँगे। यह समझौता डीएई को आर्टिकल प्रोसेसिंग चार्ज (APC) के बिना ओपन एक्सेस के रूप में स्प्रिंगर हाइब्रिड पत्रिकाओं में 281 लेख प्रकाशित करने में भी सक्षम करेगा।

    मेसर्स वाईली इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स स्प्रिंगर नेचर ग्रुप के साथ हस्ताक्षरित ओडीओएस परिवर्तनकारी समझौता डीएई के वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सतत विकास को सक्षम करेगा। इससे वैज्ञानिक मनोबल, नवाचार और शोध को बढ़ावा मिलेगा तथा अकादमिक प्रकाशनों में वृद्धि होगी।

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