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    परमाणु ऊर्जा विभाग की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण गतिविधियाँ

    परमाणु ऊर्जा विभाग की विभिन्न इकाइयाँ परमाणु ऊर्जा उत्पादन, परमाणु विज्ञान की उन्नति, लेजर, त्वरक और प्लाज्मा प्रौद्योगिकी, उद्योग, स्वास्थ्य और कृषि में रेडियोआइसोटोप के उपयोग के लिए ज्ञान और तकनीक उत्पन्न करने के उद्देश्य से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में अनुसंधान में लगी हुई हैं। कुछ प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने पर प्रतिबंधों के कारण, परमाणु ऊर्जा विभाग ने अपने कार्यक्रम के लिए आवश्यक कई प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से सफलतापूर्वक विकसित किया है। इस प्रक्रिया में, बहुत से ज्ञान-विज्ञान संबंधी व्युत्पन्न (स्पिन-ऑफ) विकसित हुए हैं, जो उद्योग को हस्तांतरित करने के लिए उपलब्ध हैं।

    प्रौद्योगिकी साझा करने का उद्देश्य भारत को प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाना और इन प्रौद्योगिकियों को उद्योग और समाज दोनों के लिए तैनाती योग्य उत्पादों और प्रक्रियाओं में परिवर्तित करना है। अपनी खुद की प्रौद्योगिकियों को विकसित करने से प्राप्त शक्ति और आत्मविश्वास अधिक स्वायत्तता के साथ अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी तक पहुँच की सुविधा भी प्रदान करता है।

    परमाणु ऊर्जा विभाग पिछले चालीस वर्षों से इन व्युत्पन्न (स्पिन-ऑफ) प्रौद्योगिकियों के ज्ञान का लाइसेंस दे रहा है और वर्तमान में 250 से अधिक प्रौद्योगिकियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) के लिए सूचीबद्ध किया है। औद्योगिक और ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 600 विभिन्न हस्तांतरित व्यक्तियों को 800 से अधिक लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं। कई उत्पादों का व्यवसायीकरण कर भारतीय उद्योगों के लिए मूल्यवर्धन किया गया है।

    हाल ही में, विभिन्न DAE इकाइयों (BARC मुंबई, IGCAR कलपक्कम, RRCAT इंदौर और IPR गांधीनगर) में चार अटल इनक्यूबेशन सेंटर (AIC) स्थापित किए गए हैं, ताकि DAE प्रौद्योगिकियों, विशेषज्ञता और जानकारी को उद्योगों के साथ सहयोग के माध्यम से बाजार संचालित उत्पादों और प्रक्रियाओं में परिवर्तित किया जा सके, जिसमें स्टार्टअप पर विशेष ध्यान दिया गया है।

    यहाँ विभिन्न DAE इकाइयों में प्रौद्योगिकी अंतरण गतिविधियों पर अधिक विस्तृत जानकारी दी गई है:

    बीएआरसी

    BARC के पास नाभिकीय विज्ञान, रसायन अभियांत्र‍िकी, पदार्थ विज्ञान और धातु विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जीव विज्ञान और चिकित्सा, सुपरकंप्यूटिंग, उच्च-ऊर्जा भौतिकी और प्लाज्मा भौतिकी और संबंधित अनुसंधान के संपूर्ण स्पेक्ट्रम को कवर करने के लिए उन्नत अनुसंधान और विकास है। एक जीवंत और धारणीय प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पारितंत्र को विकसित करने के लिए अटल इनक्यूबेशन सेंटर (AIC-BARC) की स्थापना की गई है।

    BARC का एक आकृति (AKRUTI) कार्यक्रम भी है जिसमें समाज के लिए लाभकारी प्रौद्योगिकियों के साथ ग्रामीण और ग्रामीण विकास की परिकल्पना की गई है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में आकृति केंद्रों की स्थापना शामिल है जहाँ ग्रामीण उद्यमियों को विकसित किया जा रहा है। बीएआरसी परामर्श और सेवा कार्यक्रम के तहत डिजाइन और प्रशिक्षण के साथ-साथ बुनियादी ढाँचे को साझा करने में विभिन्न सहयोग प्रदान करता है। BARC में विकसित और भारतीय उद्योगों/स्टार्टअप के लिए उपलब्ध प्रौद्योगिकियां https://www.barc.gov.in/technologies technology.html पर सूचीबद्ध हैं ।

    आईजीसीएआर

    आईजीसीएआर कल्‍पाक्कम के पास वैज्ञानिक अनुसंधान और उन्नत अभ‍ियांत्रि‍की विकास का एक व्यापक-आधार वाला बहु-विषयक कार्यक्रम है, जो कि देश में सोडियम शीतित द्रुत प्रजनक रिएक्टर (एफबीआर) और संबंधित ईंधन चक्र सुविधाओं की स्थापना की दिशा में कार्यरत है। इस अनुसंधान एवं विकास कार्य के दौरान, आईजीसीएआर ने कई स्पिन-ऑफ प्रौद्योगिकियां और विशेषज्ञता विकसित की हैं जो उद्योग और समाज के क्षेत्रों जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए सेंसर, माप उपकरण, रोबोटिक्स, थर्मल इमेजिंग उपकरण, स्वास्थ्य और संरक्षा, नवीन पदार्थ, उपकरणों और प्रक्रियाओं का स्वचालन आदि के लिए प्रासंगिक हैं। एआईसी-आईजीसीएआर के माध्यम से आईजीसीएआर में हो रही विभिन्न गतिविधियों का विवरण https://www.igcar.gov.in/incubation.html. पर उपलब्ध है।

    आरआरकेट

    आरआरकेट लेजर, कण त्वरक, संबंधित प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों के गैर-नाभ‍िकीय अग्रणी अनुसंधान क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास कार्य में संलग्‍न है। आरआरकेट ने आरएफ-सुपरकंडक्टिविटी, कम-तापमान भौतिकी, अल्ट्रा-हाई वैक्यूम, पदार्थ विज्ञान, बायो-फोटोनिक्स, असक्रिय परमाणु भौतिकी, गैर-रेखीय प्रकाशिकी, ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स, नैनो-विज्ञान, माइक्रो-इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग आदि क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित की है। उन्नत और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी फोटोनिक और संबद्ध प्रौद्योगिकियों के लिए एक जीवंत और धारणीय प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पारितंत्र को बनाए रखने के लिए आरआरकेट में AIC π-हब की स्थापना की गई है। AIC π-हब की प्रौद्योगिकी स्‍थानांतरण गतिविधियों के बारे में अधिक विवरण https://aicpihub.in पर उपलब्ध है।

    आईपीआर

    प्‍लाज्‍मा अनुसंधान संस्‍थान (आईपीआर) प्लाज्मा प्रौद्योगिकी के विभ‍िन्‍न सामाजिक और औद्योगिक अनुप्रयोगों और विद्युत आपूर्ति, डेटा अधिग्रहण, सॉफ्टवेयर विकास, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/डीप लर्निंग, सिमुलेशन और कोड विकास गतिविधियों, पदार्थ विज्ञान, सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट और क्रायोजेनिक्स, असमान धातु जुड़ाव आदि से संबंधित जानकारी पर कार्य कर रहा है। ऐसी गतिविधियाँ आईपीआर में उपलब्ध विशेषज्ञता/प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर विभिन्न सामाजिक और औद्योगिक समस्याओं के समाधान हेतु सार्वजनिक और निजी उद्योगों, सरकारी संस्‍थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, अकादमिक संस्‍थानों आदि जैसे विभिन्न सहयोगी संगठनों के माध्यम से की गई हैं। विभिन्न गतिविधियों के बारे में अधिक विवरण https://www.ipr.res.in/eoi1.html पर उपलब्ध है।

    VECC

    वीईसीसी की स्थापना प्रायोगिक नाभ‍िकीय भौतिकी, विकिरण क्षति अध्ययन और अनुसंधान व नाभ‍िकीय चिकित्सा के लिए आइसोटोप उत्पादन में अनुसंधान करने के लिए की गई है। यह केंद्र मैकेनिकल अभ‍ियांत्र‍िकी, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरएफ अभ‍ियांत्र‍िकी और कंप्‍यूटेशन के लिए पूर्ण डिजाइन और विकास सुविधाओं से युक्‍त राष्ट्रीय सुविधा के रूप में स्‍थापित हुआ। वीईसीसी प्रौद्योगिकियों की हस्तांतरण गतिविधियों के बारे में अधिक विवरण https://www.vecc.gov.in/technology-transfer पर उपलब्ध है।